Wednesday, October 28, 2009

एक मिट्टी का खिलौना

एक मिट्टी का खिलौना जिन्दगी ,
ढालने को जन्म भी तैयार है ,खेलने को मौत भी तैयार !
*
चार साँसें ,एक आँसू ,एक स्मिति की लहर ,
एक आशा एख भाषा एक स्वर ,
और थोडी सी कसकती वेदना ,
और भरने के लिये छोटा प्रहर !
एक छोटी सी कहानी जिन्दगी ,
जोडने को जन्म भी तैयार है ,मोडने को मौत भी तैयार !
*
एक क्षण को आँख की पलकें झँपीं ,
स्वप्न बन कर ढल गये अनजान से
और क्या होगा इसी की याद को ,
कल्पना भरने लगी अनुमान से !
एक ऐसी है पहेली जिन्दगी ,
पूछने को जन्म भी तैयार है,पोंछने को मौत भी तैयार !
*
ढल रहा था काल के इस चक्र में ,
रूपरेखा किन्तु पहचानी लगी ,
मृत्तिका ने तन दिया ,यौवन दिया ,
अग्नि मे तप प्राण चेतनता जगी !
एक ऐसी रागिनी है जिन्दगी ,
छेडने को जन्म भी तैयार है ,छोडने को मौत भी तैयार !
*
और सदियाँ ढल गईँ बस इस तरह ,
हार जीवन ने कभी मानी नहीं ,
मिट्टियों से फिर नये अँकुर जगे ,मौत की यह एक मेहमानी रही !
एक ऐसी यात्रा है जिन्दगी ,
राह देने जन्म भी तैयार है ,छाँह देने मौत भी तैयार !
*

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