*
भूत कभी मरता नहीं .
जितना भागोगे ,घेरेगा .
दौड़ना मत, भगाता चला जाएगा.
दूर ,और दूर !
तंत्र-मंत्र अभिचार , सब बेकार ,
अपना मौका तलाशता
हवाएँ सूँघ लेता है .
*
अकेली ,कुछ कमज़ोर ,
शिथिल-सी मनस्थिति देख
अनायास छाया सा घिर ,
तन-मन आविष्ट-अवसन्न कर
छोड़ देता है किसी अगाध में .
*
जितना भागोगे ,घेरेगा ,
भगाता चला जाएगा ,
विस्मृति भरी दूरियों तक.
और उसके लिए सच है -
जहाँ पलट कर देखो ,
पीछे लग जाएगा .
क्योंकि भूत कभी मरता नहीं .
*
Sunday, December 26, 2010
Thursday, December 2, 2010
अनलिखा
अनलिखा वह पत्र मन ने पढ़ लिया होगा !
*
मुखर हो पाई न चाहे कामना तो थी ,
सत्य हो पाई न हो , संभावना तो थी ,
बहुत गहरे उतर अंतर थाह लेता जो
रह गई अभिव्यक्ति बिन पर भावना तो थी,
उड़ा डाला आँधियों ने और तो सब कुछ ,
किन्तु भारी-पन यथावत् धर दिया होगा
*
कुछ न मिटता, रूप बस थोड़ा बदल जाता ,
स्वरों ने गाया न हो पर गीत रच जाता.
अनबताया रह गया कुछ मौन में डूबा
रेतकण सा अँजुरी से रीत झर जाता .
रिक्तियों को पूरने की अवश मजबूरी
जो मिला स्वीकार नत-शिर कर लिया होगा !
*
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मुखर हो पाई न चाहे कामना तो थी ,
सत्य हो पाई न हो , संभावना तो थी ,
बहुत गहरे उतर अंतर थाह लेता जो
रह गई अभिव्यक्ति बिन पर भावना तो थी,
उड़ा डाला आँधियों ने और तो सब कुछ ,
किन्तु भारी-पन यथावत् धर दिया होगा
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कुछ न मिटता, रूप बस थोड़ा बदल जाता ,
स्वरों ने गाया न हो पर गीत रच जाता.
अनबताया रह गया कुछ मौन में डूबा
रेतकण सा अँजुरी से रीत झर जाता .
रिक्तियों को पूरने की अवश मजबूरी
जो मिला स्वीकार नत-शिर कर लिया होगा !
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