Monday, December 28, 2009

सारा आकाश

*
बस पंख सलामत रहें
सारा आकाश तुम्हारा
कोई घेरा .
काफ़ी नहीं तुम्हारे लिये
न सीमित करती कोई कारा .
पंख जहाँ ले जायँ ,
वहीं पर लिखा दे नाम तुम्हारा .
नाम जो मेरे स्व का विस्तार
दिया तुम्हें मेरी अस्मिता ने
जहाँ तक तुम्हारी पहुँच ,
व्यप्ति है मेरी !
समर्थ रहें पंख ,
स्वतंत्र ,सचेत ,निर्बाध !
और सारा आकाश तुम्हारा .

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