Thursday, November 12, 2009

आये न अब लौं कहार

आये न अब लौं कहार, हमार डुलिया कइस उठिबे !
माथे पे बिंदिया, नयन भरो कजरा
रुच के सजाय देओ फूलन के गजरा
टटकी चटक लाल चूनर उढ़ावो ,
केहि दिसि पी घर मारग दिखावो
गैलो न मालुम पहुँचिबे कइस,
हिया लागि चिन्ता हमार !
पिया घर कइस जइबे !
सुध न रहे कजरा ,न गजरा ,न चुरियाँ ,
रख जाई हियनै ई पहिरी चुनरिया !
डोली भी अइबे ,कहार दौरि अइहैं ,
काहे तू हैरान , पिया संगै लइ जइहैं !
सारी विवस्था ,खुदै होइ जाई ,
आवहिंगे जब वे दुआर !
सबै देखित रहि जइबे !

No comments:

Post a Comment