Sunday, December 26, 2010

भूत

*


भूत कभी मरता नहीं .

जितना भागोगे ,घेरेगा .

दौड़ना मत, भगाता चला जाएगा.

दूर ,और दूर !

तंत्र-मंत्र अभिचार , सब बेकार ,

अपना मौका तलाशता

हवाएँ सूँघ लेता है .

*

अकेली ,कुछ कमज़ोर ,

शिथिल-सी मनस्थिति देख

अनायास छाया सा घिर ,

तन-मन आविष्ट-अवसन्न कर

छोड़ देता है किसी अगाध में .

*

जितना भागोगे ,घेरेगा ,

भगाता चला जाएगा ,

विस्मृति भरी दूरियों तक.

और उसके लिए सच है -

जहाँ पलट कर देखो ,

पीछे लग जाएगा .

क्योंकि भूत कभी मरता नहीं .

*

10 comments:

  1. भागोगे तो दौड़ायेगा, घूम कर खड़े हो जायें, सामने।

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  2. चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना कल मंगलवार 28 -12 -2010
    को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..


    http://charchamanch.uchcharan.com/

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  3. भूत को बीती ताहि बिसार दे ,समझ कर आगे बढ़ जाना चाहिए , मगर इतना सरल भी तो नहीं हर किसी के लिए ...
    सार्थक सन्देश !

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  4. बहुत सही विवेचना की है अतीत की ।

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  5. सच कहा ...भले ही थोड़ी देर के लिए विस्मृत सा लगे पर भूत कभी पीछा नहीं छोड़ता

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  6. बहुत ही सुन्दर और सटीक विवेचन किया है।

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  7. बहुत ही सार्थक चिंतन. सुन्दर अभिव्यक्ति

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  8. अतीत कभी बीतता नहीं...
    सच!

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