*
डाल पर दो फूल खिलते साथ ही जो
टूटने के बाद उनके हो गए जब स्थान दो ,
जिनमें नहीं समता कहीं भी.
क्या परस्पर वहाँ
कुछ भी शेष रह जाती न ममता ,
सूख जाते स्नेह के सब स्रोत?
क्या सभी संबंध उनके
टूट जाते हैं इसी से?
*
डाल पर दो फूल खिलते साथ ही जो
टूटने के बाद उनके हो गए जब स्थान दो ,
जिनमें नहीं समता कहीं भी.
क्या परस्पर वहाँ
कुछ भी शेष रह जाती न ममता ,
सूख जाते स्नेह के सब स्रोत?
क्या सभी संबंध उनके
टूट जाते हैं इसी से?
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यह होना तो नहीं चाहिये पर बहुधा हो जाता है।
ReplyDeleteमनन करने योग्य
ReplyDeleteवाह! मम्मा ने कहा..मनन योग्य....मैंने कर भी लिया बहुत सारा मनन..
ReplyDeleteमगर कहंगी बस इतना...कि..ये तो फूल हैं बेचारे..मूक...कुछ कह नहीं पाते....ज़ाहिर नहीं कर पाते......इंसान तो और भी गया गुज़रा है....
एक शेर याद आ रहा है...
''आँख से दूर न हो,दिल से उतर जाएगा''........
और एक ये..
''हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छूटा करते''
:)