Thursday, February 11, 2010

शिकायत -

कमल जी को तीखी मिर्च का उत्तर-

पशु-पक्षी-और सभी वनस्पति हुये इकट्ठे जाकर
भगे घरों से सभी पालतू जीव-जंतु अकुला कर
बजा तालियाँ पीपल बोला शुरू करो सम्मेलन ,
जिम्मेदार हमारे दुख का दो पैरोंवाला जन
*
हरी मिर्च चट् बढ़ आई देखो अत्याचारी को ,
लाल न होने दिया रूप की खिलती चिन्गारी को
कच्चा तोड़ लिया डाली से स्वाद हेतु फिर काटा ,
झार सहन जब कर न सके तो मुझे कमल ने डाँटा
*
गन्ना बोला ,मेरा रक्त खीच कर औटाते हैं ,
फिर शक्कर बीमारी का दुख जीवन भर पातें हैं .
आदमजात दुपाया इसको कब संतोष हुआ है ,
अपना स्वार्थ न सधे अगर तो हम पर रोष हुआ है ,
*
दाता ने दी बुद्धि ,उसी के बल पर है इतराता ,
है दिमाग में खुराफ़ात . तिगनी नाच नचाता
पक्षी बड़े दुखी थे चैन न है मनुष्य के मारे ,
काटे पेड़ उजाड़ा जीवन सारे साज़ बिगाड़े .
*

2 comments:

  1. हर शब्‍द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

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