*
भूत कभी मरता नहीं .
जितना भागोगे ,घेरेगा .
दौड़ना मत, भगाता चला जाएगा.
दूर ,और दूर !
तंत्र-मंत्र अभिचार , सब बेकार ,
अपना मौका तलाशता
हवाएँ सूँघ लेता है .
*
अकेली ,कुछ कमज़ोर ,
शिथिल-सी मनस्थिति देख
अनायास छाया सा घिर ,
तन-मन आविष्ट-अवसन्न कर
छोड़ देता है किसी अगाध में .
*
जितना भागोगे ,घेरेगा ,
भगाता चला जाएगा ,
विस्मृति भरी दूरियों तक.
और उसके लिए सच है -
जहाँ पलट कर देखो ,
पीछे लग जाएगा .
क्योंकि भूत कभी मरता नहीं .
*
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भागोगे तो दौड़ायेगा, घूम कर खड़े हो जायें, सामने।
ReplyDeleteचर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना कल मंगलवार 28 -12 -2010
ReplyDeleteको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.uchcharan.com/
भूत को बीती ताहि बिसार दे ,समझ कर आगे बढ़ जाना चाहिए , मगर इतना सरल भी तो नहीं हर किसी के लिए ...
ReplyDeleteसार्थक सन्देश !
बहुत सही विवेचना की है अतीत की ।
ReplyDeleteसच कहा ...भले ही थोड़ी देर के लिए विस्मृत सा लगे पर भूत कभी पीछा नहीं छोड़ता
ReplyDeletebahut hi gahan rachna
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर और सटीक विवेचन किया है।
ReplyDeleteबहुत ही सार्थक चिंतन. सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteअतीत कभी बीतता नहीं...
ReplyDeleteसच!
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