Thursday, May 6, 2010

क्यों ?

*
मेरे लिए कहीं निवृत्ति है
बार-बार बिखरता है जो सपना
कहीं घर है मेरा अपना ?
कुछ छूट पाने का अवसर है या
अपेक्षाएँ पूरी किए जाना यही नियति है ?
सब कुछ निभाए जाना क्या सहज प्रकृति है ?
कुछ चाहना ,
या जीवन को अपनी तरह थाहना ,
गुनाह है मेरा ?
कहाँ मुक्ति है ,
वानप्रस्थ या सन्यास ,
मुझे क्यों वर्जित है ?
*

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