tag:blogger.com,1999:blog-5303499369503601482.post6029352045566414585..comments2023-10-01T02:22:08.981-07:00Comments on यात्रा एक मन की: अदम्य-प्रतिभा सक्सेनाhttp://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-5303499369503601482.post-53001789538036333762010-09-10T14:42:37.097-07:002010-09-10T14:42:37.097-07:00आहत भले होऊँ
हत नहीं होती.
जीना सीख लिया है
उपेक्...आहत भले होऊँ<br /> हत नहीं होती.<br />जीना सीख लिया है<br />उपेक्षाओं के बीच.<br /> अदम्य हूँ मैं!<br /> बहुत सुन्दर भाव की सशक्त एवं सार्थक अभिव्यक्ति है-प्रतिभा जी! सराहनीय रचना है।शकुन्तला बहादुरnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5303499369503601482.post-689528080097337202010-09-07T16:13:10.777-07:002010-09-07T16:13:10.777-07:00जीना सीख लिया है ,
उपेक्षाओँ के बीच
अदम्य हूँ मैं ...जीना सीख लिया है ,<br />उपेक्षाओँ के बीच<br />अदम्य हूँ मैं !<br /><br />-प्रेरक पंक्तियाँ.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5303499369503601482.post-53780847795087504572010-09-06T20:26:42.818-07:002010-09-06T20:26:42.818-07:00आहत भले होऊँ
हत नहीं होती ,
झेल कर आघात ,
जीना सीख...आहत भले होऊँ<br />हत नहीं होती ,<br />झेल कर आघात ,<br />जीना सीख लिया है ,<br />उपेक्षाओँ के बीच<br />अदम्य हूँ मैं !<br />बहुत प्रेरणादायी पंक्तियाँ ! सृष्टि की हर रचना कितनी अनमोल है और कितना सार्थक सन्देश संचारित करती है यह आपकी कविता से सिद्ध हो जाता है ! बहुत सुन्दर एवम् प्रभावशाली अभिव्यक्ति ! बधाई स्वीकार करें !Sadhana Vaidhttps://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5303499369503601482.post-8958486247469241342010-09-06T19:06:59.248-07:002010-09-06T19:06:59.248-07:00ऐसा लिखने के लिए आपको धन्यवादऐसा लिखने के लिए आपको धन्यवादAvinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5303499369503601482.post-85088581918748043692010-09-04T01:50:32.287-07:002010-09-04T01:50:32.287-07:00आपका आत्मबल अनुकरणीय है।आपका आत्मबल अनुकरणीय है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5303499369503601482.post-5063851413137363112010-09-04T00:14:35.930-07:002010-09-04T00:14:35.930-07:00जीना सीख लिया है ,
उपेक्षाओँ के बीच
अदम्य हूँ मैं ...जीना सीख लिया है ,<br />उपेक्षाओँ के बीच<br />अदम्य हूँ मैं !<br /><br />धरती ताल कि सी घास कभी कभी मन में भी उग आती है ...बहुत सुन्दर अभिव्यक्तिसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.com