Monday, March 29, 2010

अगली बार

पार करते हुए जब जन्मान्तरों को
पहुँच जाऊँ यहीं अगली बार !
*
और सुन्दर यह धरा उस बार होगी ,
आज की यह कल्पना साकार होगी ,
यही प्यारे दृष्य ,यह कलरव खगों का
सुखद होगा रास्ता मेरे पगों का ,
राग भर मन सुरभि-चंदन -
भावना अंकित यहाँ हर बार
*
उगे होंगे नये अंकुर नए पत्ते
स्वर अधिक कुछ पगे होंगे नेह रस से !
जान लेगा बात मन की दूसरा मन ,
सँजोए नवरस महकते पुष्प के तन
चित्र-वीथी सी दिशाओं के पटों पर
जहाँ आऊँ पुनः अगली बार !
*

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